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चुनी हुई कहानियाँ ( खण्‍ड - 3) – गोर्की

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  • Pages:218 pages
  • Edition Year:2019
  • Publisher:Parikalpana Prakashan
  • Language:Hindi
  • ISBN:9788189760052


Book Description

मक्सिम गोर्की के विराट रचना-संसार के एक बहुत बड़े हिस्से से पूरी दुनिया के पाठक अभी भी अपरिचित हैं। उनके कई महान उपन्यास, उत्कृष्ट कहानियाँ और विचारोत्तेजक निबन्ध अंग्रेज़ी और अन्य यूरोपीय भाषाओं में भी उपलब्ध नहीं हैं। इस मायने में भारतीय भाषाओं और ख़ासकर हिन्दी के पाठक अपने को और भी अधिक वंचित स्थिति में पाते रहे हैं। ‘माँ’, ‘वे तीन’, ‘टूटती कड़ियाँं’, (‘अर्तामानोव्स’ का अनुवाद), ‘मेरा बचपन’, ‘जीवन की राहों पर’, ‘मेरे विश्वविद्यालय’ (आत्म–कथात्मक उपन्यासत्रयी), ‘बेकरी का मालिक’, ‘अभागा’ और ‘फोमा गोर्देयेव’ – गोर्की के कुल ये नौ उपन्यास ही हिन्दी में प्रकाशित हुए हैं। इसके अतिरिक्त उनके चार नाटक और चार-पाँच निबन्ध ही सम्भवतः अभी तक हिन्दी में छपे हैं। जहाँ तक कहानियों का प्रश्न है, ‘इटली की कहानियाँ’ संकलन में शामिल कहानियों के अतिरिक्त, पिछले 60-70 वर्षों के दौरान गोर्की की अन्य लगभग पच्चीस या छब्बीस कहानियाँ ही हिन्दी में छपी हैं और वे भी एक साथ कहीं उपलब्ध नहीं हैं। नयी पीढ़ी के हिन्दी पाठक इनमें से ‘चेल्काश’, ‘बुढ़िया इज़रगिल’, ‘मकर चुद्रा’, ‘इन्सान पैदा हुआ’, ‘छब्बीस लोग और एक लड़की’, ‘बाज़ का गीत’, ‘तूफ़ानी पितरेल पक्षी का गीत’ आदि कुछ कहानियों से ही परिचित हैं। ऐसे में, हमें यह बहुत ज़रूरी और उपयोगी लगा कि बीसवीं सदी के इस महान सर्जक और समाजवादी यथार्थवाद के पुरोधा की सभी अनूदित-अननूदित कहानियों को (इटली की कहानियाँ में शामिल कहानियों को छोड़कर) एकत्र करें और उन्हें एक साथ हिन्दी के पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करें। नये-पुराने संकलनों से ऐसी कुल तैंतीस कहानियाँ हमें मिलीं। इनमें से सात हिन्दी में पहली बार अनूदित और प्रकाशित हो रही हैं।




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Maxim Gorky

महान सोवियत कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाटककार

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