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जब मैं जड़ों के बीच रहता हूँ
Book Details
- Choose Book Type:
- Pages:96 pages
- Edition Year:2014
- Publisher:Parikalpana Prakashan
- Language:Hindi
- ISBN:9788189760564
Book Description
पाब्लो नेरूदा ने न सिर्फ़ चीले, बल्कि समूचे लातिन अमेरिकी महाद्वीप को एक नयी आवाज़, एक नयी भाषा दी और ऐसा करते हुए उन्होंने कविता को नये सिरे से परिभाषित किया। उनकी कविता दशकों तक लातिन अमेरिकी जनता को स्वप्न देखना और उनके लिए लड़ना सिखाती रही और आज लोक-स्मृतियों के समान वह उसके जीवन में रच-बस गयी है। नेरूदा ने अपने वैभवपूर्ण किन्तु भीषण महाद्वीप की प्रत्येक वस्तु का नामकरण किया और सम्पूर्ण लातिन अमेरिका अपने इतिहास और भविष्य-स्वप्नों के साथ उनकी भाषा में जीवित हो उठा। पाब्लो नेरूदा सच्चे अर्थों में समूची धरती के नागरिक थे। चाहे फासिस्ट फ्रांको के विरुद्ध संघर्षरत स्पेनी गणतंत्रवादी हों या स्तालिनग्राद के बहादुर रक्षक मज़दूरों-किसानों के बेटे जिन्होंने नात्सियों को धूल में मिला दिया, वे सभी उनके भाई समान आत्मीय थे और उनके लिए उन्होंने हृदय की गहराइयों से लिखा। वे एक सच्चे अन्तरराष्ट्रीयतावादी कवि थे। नेरूदा एक वामपन्थी कवि थे, पर आम लीक से एकदम हटकर उन्होंने मुखर राजनीतिक कविताओं के साथ-साथ प्रेम, प्रकृति, हताशा, स्वप्नों, स्मृतियों के बारे में लिखा और प्रचुर मात्रा में लिखा। विषय और कला-रूपों की विविधता की दृष्टि से नेरूदा अपनी शताब्दी में शायद सबसे आगे थे।