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धर्म का ढकोसला
Book Details
- Choose Book Type:
- Pages:59 pages
- Edition Year:2021
- Publisher:Rahul Foundation
- Language:Hindi
- ISBN:9788187728351
Book Description
राधामोहन गोकुलजी भारतीय राष्ट्रीय जागरण के एक अनन्य शलाका पुरुष थे। उनके कृतित्व से परिचय भारत में जुझारू भौतिकवादी चिन्तन की विस्मृतप्राय गौरवशाली परम्परा का पुनःस्मरण है। राधामोहन गोकुलजी ने निरीश्वरवाद और कम्युनिज़्म के प्रचार, अन्धविश्वास और जात-पाँत के विरोध, स्त्रियों की पराधीनता, आर्थिक वैषम्य, औपनिवेशिक शोषण से लेकर विश्व क्रान्तियों और समकालीन समस्याओं तक – सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-ऐतिहासिक-दार्शनिक प्रश्नों पर विपुल लेखन किया। उनकी रचनाओं की बेकली, उनका विद्रोही आह्वान, उनके अकाट्य तर्क आज भी पाठकों में उत्तेजना और बेचैनी पैदा कर देते हैं। गोकुलजी राष्ट्रीय जागरण के दौर में प्रबोधन की धारा के अग्रधावक थे। उनकी रचनाओं में दिदेरो और वाल्तेयर जैसे प्रबोधनकारी फ़्रांसीसी दार्शनिकों तथा चेर्नीशेव्स्की और बेलिंस्की जैसे रूसी क्रान्तिकारी जनवादी विचारकों जैसी आग दिखाई देती है। इस मायने में वह उस अग्निधर्मी परम्परा के प्रवर्तक थे, जिसे उनके बाद राहुल सांकृत्यायन ने आगे बढ़ाया। गोकुलजी के दयानन्द सरस्वती, लाला लाजपत राय, मदन मोहन मालवीय और महात्मा गाँधी से लेकर रासबिहारी बोस, शचीन्द्रनाथ सान्याल, चन्द्रशेखर आज़ाद और भगतसिंह तक से निकट सम्पर्क रहे थे। भगतसिंह और शिव वर्मा आदि को वैज्ञानिक समाजवाद के विचारों तक पहुँचाने में उनकी अहम भूमिका रही थी।