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भ्रष्‍टाचार और उसके समाधान का सवाल, सोचने के लिए कुछ मुद्दे

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  • Pages:112 pages
  • Edition Year:2017
  • Publisher:Rahul Foundation
  • Language:Hindi
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Book Description

पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार का सवाल एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसके समाधान को लेकर कई तरह के आन्दोलन उठ खड़े हुए हैं जिनमें से कुछ पर मीडिया और समाज में काफ़ी चर्चा और बहस भी जारी है। भ्रष्टाचार का सवाल पहले भी भारत में कई बार व्यापक रूप से उठ चुका है, बल्कि कहा जाना चाहिए कि जब भी पूँजीवादी व्यवस्था का संकट गहराता है तब भ्रष्टाचार भी सारी हदें पार करने लगता है और उसे ख़त्म करने के लिए कई तरह के नुस्खे भी सामने आने लगे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में आयी घपलों-घोटालों की बाढ़ और कमोबेश इसकी प्रतिक्रिया में उभरे अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव के आन्दोलनों पर काफ़ी कुछ लिखा-पढ़ा जा रहा है। लेकिन इस पूरी परिघटना को समग्रता में और सतह के नीचे जाकर गहराई से समझने की ज़रूरत है। इसी दृष्टि से ‘आह्वान पुस्तिका श्रृंखला’ के तहत हमने यह संकलन तैयार किया है। इसमें पिछले दो दशकों से प्रकाशित हो रही छात्रों-युवाओं की पत्रिका ‘मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान’ (2008 तक यह ‘आह्वान कैम्पस टाइम्स’ नाम से प्रकाशित होती थी) में भ्रष्टाचार और अण्णा हज़ारे के आन्दोलन पर प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण लेखों को संकलित किया गया है। इसके साथ ही क्रान्तिकारी मज़दूर अख़बार ‘मज़दूर बिगुल’ में इसी विषय पर प्रकाशित सामग्री भी इस संकलन में शामिल की गयी है। बाबा रामदेव पर ‘आह्वान’ में प्रकाशित एक लेख को परिशिष्ट में शामिल किया गया है।




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